अविनाश श्रीवास्तव/रोहतास: जिले में धान की बंपर खेती होती है, लेकिन किसान धान कटने के बाद उसके अवशेष (पराली) को खेतों में ही जला रहे हैं. पराली जलाने से प्रदूषण की समस्या है. साथ ही खेतों की उर्वरा शक्ति भी क्षीण होती जा रही है. लाख जागरूकता अभियान के बावजूद किसान मानने को तैयार नहीं है तथा लगातार पराली जलाने का काम चल रहा है.
सांस लेने में होती है दिक्कत
दरअसल, प्रशासन के द्वारा किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं. यहां तक की मुकदमा करने की धमकी भी दी जा रही है, लेकिन फिर भी किसान नहीं मान रहे हैं. पराली जलाने से पहले तो खेत की उर्वरा शक्ति क्षीण होती है. वहीं, दूसरी ओर पर्यावरण भी दूषित हो रहा है. गांव की वायु गुणवत्ता खराब हो रही है, ऐसे में सांस लेने में भी दिक्कत हो जाती है.
पराली जलाने से फैल रहा प्रदूषण
गांव में सुबह सुबह टहलने वाले लोग कहते हैं कि गांव में भी पराली जलाने से प्रदूषण फैल रहा है तथा खेत भी बर्बाद हो रहा है, लेकिन किसानों की मजबूरी है कि जल्द से जल्द खेत साफ करना है तथा अगली फसल की बुवाई करनी है, ऐसे में खेत को साफ करने में अधिक मजदूरी लगता है. जिस कारण किसान पराली को खेत में ही जलाना मुनासिब समझ रहे हैं. रोहतास जिले के सभी क्षेत्रों की कमोबेश यही स्थिति है.
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